नागरिकता संशोधन एक्ट (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन (protest) हुए. कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन ने हिंसक (violent protest) रुख अख्तियार कर लिया. दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के छात्रों ने भी विरोध प्रदर्शन के दौरान बसें और दूसरी गाड़ियां जला दीं.
सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन कोर्ट ने प्रदर्शन के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान पर नाखुशी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों को बसें जलाने का अधिकार किसने दे दिया? कोर्ट ने छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा कि अपनी बात रखने के लिए उन्हें सड़क पर उतरने का अधिकार है लेकिन वो अगर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करेंगे तो कोर्ट उनकी बात नहीं सुनेगा.
अक्सर विरोध प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है. कभी बसें जला दी जाती हैं, कभी ट्रेनों पर पथराव होता है, कभी सरकारी इमारतों में तोड़-फोड़ होती है, तो कभी सरकारी ट्रांसपोर्ट व्यवस्था का नुकसान किया जाता है. सवाल है कि क्या इसको लेकर कोई कानून नहीं है? अगर विरोध प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति का नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन है? आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ में सरकारी संपत्ति के नुकसान पर कानून क्या कहता है?
विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान किया तो हो सकती है इतने साल की सजा